
विवरण: 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों में उत्सुकता बनी हुई है। 1 जनवरी 2026 से लागू होने की घोषणा के बावजूद देरी की खबरें सामने आ रही हैं। डीए, एचआरए, और पेंशन में बदलाव की संभावना के साथ एनसीजेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर स्पष्टता की मांग की है। जानिए फिटमेंट फैक्टर, फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस, और अन्य भत्तों पर ताजा अपडेट।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों को 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का बेसब्री से इंतजार है। इस आयोग को 1 जनवरी 2026 से लागू करने की घोषणा 16 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने की थी। हालांकि, अभी तक आयोग के सदस्यों और टर्म्स ऑफ रेफरेंस (TOR) की घोषणा नहीं हुई है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनरों में चिंता बढ़ रही है। नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने इस मुद्दे पर कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर तत्काल स्पष्टता और समयबद्ध जानकारी की मांग की है।
डीए, एचआरए और पेंशन में बदलाव की संभावना
8वें वेतन आयोग के तहत महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), और पेंशन में संशोधन की उम्मीद है। वर्तमान में डीए 50% से ऊपर पहुंच चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीए के 50% से अधिक होने पर इसे बेसिक सैलरी में मर्ज किया जा सकता है, जिससे बेसिक वेतन बढ़ेगा और डीए दोबारा 0% से शुरू होगा। हालांकि, भविष्य में डीए की वृद्धि दर धीमी हो सकती है।
एचआरए में भी बदलाव की संभावना है। मेट्रो शहरों में एचआरए की दरें 24%, 16%, और 8% की कैटेगरी के आधार पर निर्धारित हो सकती हैं। ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए ट्रैवल अलाउंस (TA) की गणना में भी संशोधन प्रस्तावित है। इसके अलावा, कुछ पुराने और अनावश्यक भत्तों को हटाकर सिस्टम को अधिक पारदर्शी और व्यावहारिक बनाने की कोशिश की जा रही है।
फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस में बढ़ोतरी का प्रस्ताव
पेंशनरों के लिए एक अहम अपडेट फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस (FMA) को लेकर है। 11 मार्च 2025 को स्टैंडिंग कमेटी ऑफ वॉलंटरी एजेंसीज (SCOVA) की 34वीं बैठक में प्रस्ताव दिया गया कि पेंशनरों को मिलने वाला FMA, जो वर्तमान में 1000 रुपये प्रति माह है, उसे बढ़ाकर 3000 रुपये किया जाए। यह बदलाव 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। SCOVA ने महंगाई के आधार पर इस राशि को अपर्याप्त बताते हुए यह मांग उठाई है।
फिटमेंट फैक्टर और सैलरी गणना
7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसके आधार पर न्यूनतम बेसिक वेतन 7000 रुपये से बढ़कर 18000 रुपये और पेंशन 3500 रुपये से बढ़कर 9000 रुपये हो गई थी। 8वें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.5 से 3.0 के बीच होने का अनुमान है। NC-JCM ने मांग की है कि फिटमेंट फैक्टर 3.0 से अधिक हो ताकि कर्मचारियों और पेंशनरों को पर्याप्त लाभ मिल सके। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 तय होता है, तो न्यूनतम बेसिक सैलरी 18000 रुपये से बढ़कर 51480 रुपये और पेंशन 9000 रुपये से बढ़कर 25740 रुपये हो सकती है।
शिव गोपाल मिश्रा का पत्र: कर्मचारियों की चिंता
18 जून 2025 को शिव गोपाल मिश्रा ने कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन को पत्र लिखकर आयोग के गठन में देरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जनवरी 2025 में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने टर्म्स ऑफ रेफरेंस तैयार करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक कोई अधिसूचना या स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। इससे कर्मचारियों और पेंशनरों में असमंजस और चिंता बढ़ रही है। मिश्रा ने सरकार से समयबद्ध और पारदर्शी जानकारी प्रदान करने की मांग की है ताकि कर्मचारियों का मनोबल बना रहे।
NC-JCM की प्रमुख मांगें
NC-JCM ने अपनी मांगों में निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया है:
- फिटमेंट फैक्टर 3.0 से अधिक हो।
- पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली पर विचार किया जाए।
- स्वास्थ्य बीमा योजना को अपग्रेड किया जाए।
- न्यूनतम वेतन और पेंशन में महंगाई के आधार पर पर्याप्त वृद्धि हो।
देरी की आशंका और संभावित समयसीमा
हालांकि सरकार ने 1 जनवरी 2026 से 8वें वेतन आयोग को लागू करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि प्रक्रियाओं में समय लगने के कारण यह अप्रैल 2026 या 2027 तक लागू हो सकता है। बजट 2025 में वेतन आयोग के लिए कोई वित्तीय प्रावधान न होने से भी देरी की अटकलें तेज हुई हैं। फिर भी, सरकार ने आश्वासन दिया है कि टर्म्स ऑफ रेफरेंस जल्द जारी किए जाएंगे।
कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए क्या मायने रखता है?
8वां वेतन आयोग 48.67 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनरों के लिए महत्वपूर्ण है। यह आयोग न केवल वेतन और भत्तों में वृद्धि करेगा, बल्कि पेंशन संरचना और अन्य लाभों में भी सुधार लाएगा। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि देरी से न केवल मनोबल पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह उपभोक्ता अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है।
8वें वेतन आयोग को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनर उत्साहित हैं, लेकिन देरी और अनिश्चितता ने चिंता बढ़ा दी है। शिव गोपाल मिश्रा के पत्र और SCOVA की मांगों ने इस मुद्दे को और महत्वपूर्ण बना दिया है। अब सभी की नजरें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं कि आयोग का गठन कब होगा और सिफारिशें कब लागू होंगी। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट theartnews.in पर विजिट करें और लेटेस्ट अपडेट्स के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें।

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