
UP TEACHER REQUIREMENT –उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती 2021: चार साल से अधर में लटकी नियुक्तियां, अभ्यर्थी निराश:- उत्तर प्रदेश में अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती 2021 की प्रक्रिया चार साल से लटकी हुई है। इस भर्ती के तहत 10,897 पदों, जिसमें 9,337 सहायक अध्यापक और 1,560 प्रधानाध्यापक के पद शामिल हैं, के लिए फरवरी 2021 में विज्ञापन जारी हुआ था। 15 अक्टूबर 2021 को परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें करीब 3 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए और 42,000 अभ्यर्थी सफल घोषित हुए। इसके बावजूद, चार साल बाद भी इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली है, जिससे वे निराश और हताश हैं।
कानूनी अड़चनें और देरी
17 नवंबर 2021 को परिणाम जारी होने के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने अंकों में विसंगतियों का हवाला देकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश पर 6 सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम जारी किया गया। हालांकि, इसके बाद भी कुछ अभ्यर्थी कोर्ट चले गए। 15 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। इसके बावजूद, अधिकारियों की उदासीनता के कारण प्रक्रिया रुकी हुई है।
आजमगढ़ के अभ्यर्थी दिग्विजय ने बताया, “माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह भर्ती निकाली, जिसके लिए हम आभारी हैं। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण हमारी नियुक्ति नहीं हो रही। चार साल बीत गए, मेरी दादी इस उम्मीद में दुनिया छोड़ गईं कि मुझे नौकरी मिलेगी। अब अगर नौकरी मिल भी जाए, तो वह खुशी नहीं होगी।”
अभ्यर्थियों का धरना-प्रदर्शन
पिछले कई दिनों से अभ्यर्थी लखनऊ में बेसिक शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। अयोध्या के सोनू कुमार ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा, “मेरे परिवार में कोई नौकरी नहीं है। मेरे भाई को गंभीर बीमारी है, और इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। मैंने परीक्षा अच्छे अंकों से पास की, लेकिन जॉइनिंग नहीं मिल रही। चार साल से हम निदेशालय के चक्कर काट रहे हैं, केवल आश्वासन मिलता है।”
जौनपुर की जली यादव, जो दो बच्चों की मां हैं, ने कहा, “हम सुबह से शाम तक कड़कती धूप में धरना दे रहे हैं। परिवार वाले कहते हैं कि कोई दूसरा काम कर लो, लेकिन हम बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार और अधिकारी हमारी बात नहीं सुन रहे, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में है।”
परिवार और आर्थिक संकट
अभ्यर्थियों का कहना है कि लंबित भर्ती ने उनकी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति को बदतर कर दिया है। दिग्विजय ने बताया कि प्रयागराज में रहने के लिए उन्हें 4,000-5,000 रुपये किराए और अन्य खर्चों में खर्च करने पड़ते हैं, जिससे परिवार की स्थिति खराब हो रही है। सोनू ने कहा, “पैसों की कमी के कारण मैं प्रयागराज छोड़कर घर लौट गया। अब नौकरी मिले, तो परिवार का इलाज और स्थिति सुधर सकती है।”
महिला अभ्यर्थियों की व्यथा
महिला अभ्यर्थी भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। जली यादव ने बताया, “हम दूर-दराज के जिलों से आ रहे हैं। परिवार की जिम्मेदारियां हैं, लेकिन एक उम्मीद और विश्वास के साथ हम यह लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार को हमारी अपील है कि भर्ती जल्द पूरी करें।”
सरकार से अपील
अभ्यर्थी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग कर रहे हैं कि भर्ती प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए। उनका कहना है कि यह भर्ती न केवल उनके भविष्य, बल्कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य से भी जुड़ी है। कई अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री और अन्य अधिकारियों के पास अपनी गुहार लेकर पहुंचे, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिला।
निष्कर्ष
चार साल से लंबित यह भर्ती न केवल अभ्यर्थियों के धैर्य की परीक्षा ले रही है, बल्कि उत्तर प्रदेश के शिक्षा तंत्र पर भी सवाल उठा रही है। अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया पूरी करे, ताकि वे अपने स्कूलों में पढ़ाई शुरू कर सकें और बच्चों का भविष्य संवार सकें। अगर समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो अभ्यर्थी अपना आंदोलन और तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं।
लखनऊ से कैमरापर्सन संदीप दुबे के साथ आशीष श्रीवास्तव, आज तक yah artical Aaj Tak YouTube channel se liya gaya hai
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