
उत्तर प्रदेश में स्कूल मर्जिंग को लेकर शिक्षक संगठन और विपक्षी पार्टियां योगी सरकार पर हमलावर हैं। जानिए इसका ग्रामीण बच्चों और 2027 विधानसभा चुनाव पर क्या असर होगा।
उत्तर प्रदेश स्कूल मर्जिंग विवाद: शिक्षक संगठनों का विरोध और 2027 चुनाव पर सियासी असर
उत्तर प्रदेश में स्कूल मर्जिंग का मुद्दा इन दिनों सुर्खियों में है। योगी सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने के फैसले ने शिक्षक संगठनों, विपक्षी दलों और ग्रामीण समुदायों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। इस नीति का विरोध न केवल शिक्षा के अधिकार पर सवाल उठा रहा है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव और उससे पहले होने वाले पंचायत चुनावों में इसका सियासी नफा-नुकसान भी आंका जा रहा है। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं। Also Read This
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स्कूल मर्जिंग क्या है और क्यों हो रहा है विवाद?
उत्तर प्रदेश सरकार ने कक्षा 8 तक के उन सरकारी स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया है, जहां छात्रों की संख्या 50 से कम है। सरकार का तर्क है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। हालांकि, शिक्षक संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि यह फैसला ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच को सीमित करेगा।
- शिक्षक संगठनों का विरोध: उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने कहा कि स्कूल मर्जिंग से बच्चों को दूरस्थ स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिससे ड्रॉपआउट दर बढ़ेगी।
- विपक्ष का हमला: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे शिक्षा विरोधी नीति करार देते हुए कहा कि यह गरीब और वंचित वर्गों को शिक्षा से दूर करने की साजिश है।
- X पर जनता की राय: कई यूजर्स ने X पर लिखा कि यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 21A और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE 2009) का उल्लंघन है।
ग्रामीण बच्चों पर क्या होगा असर?
स्कूल मर्जिंग का सबसे बड़ा असर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों पर पड़ने की आशंका है। उत्तर प्रदेश प्राइमरी शिक्षक संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी ने कहा कि दूरस्थ स्कूलों तक पहुंचने में बच्चों को मौसम और परिवहन की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
- ड्रॉपआउट दर में वृद्धि: अखिलेश यादव ने चेतावनी दी कि स्कूलों की दूरी बढ़ने से बच्चे पढ़ाई छोड़ सकते हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था कमजोर होगी।
- शिक्षकों पर दबाव: डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण शिक्षक पहले ही मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।
- प्रमोशन के अवसर कम: शिक्षक संगठनों का कहना है कि मर्जिंग से प्रधानाध्यापक और सहायक शिक्षकों के पद कम होंगे, जिससे प्रमोशन की संभावनाएं घटेंगी।
शिक्षक भर्ती और वैकेंसी का मुद्दा
स्कूल मर्जिंग के साथ-साथ शिक्षक भर्ती का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग में 2 लाख से ज्यादा पद खाली हैं, लेकिन सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं कर रही।
- 1.93 लाख शिक्षक भर्ती का विवाद: मई 2025 में सरकार ने 1.93 लाख शिक्षक भर्ती की घोषणा की, लेकिन कुछ घंटों बाद यह पोस्ट डिलीट कर दी गई। अखिलेश ने इसे “जुमला” करार देते हुए बीजेपी पर निशाना साधा।
- 69,000 शिक्षक भर्ती मामला: लखनऊ में अभ्यर्थियों ने नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास के बाहर प्रदर्शन किया।
- शिक्षामित्रों की अनदेखी: अखिलेश ने कहा कि शिक्षामित्र और 69,000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगें अनसुनी हैं।
2027 विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनाव पर सियासी असर
शिक्षक समुदाय उत्तर प्रदेश में एक बड़ा वोट बैंक माना जाता है। स्कूल मर्जिंग और शिक्षक भर्ती के मुद्दे को विपक्ष 2027 के विधानसभा चुनाव और 2026 के पंचायत चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रहा है।
- अखिलेश का इमोशनल कनेक्ट: अखिलेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव शिक्षक थे, इसलिए वे शिक्षकों का दर्द समझते हैं। उन्होंने वादा किया कि सपा सत्ता में आई तो शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करेगी।
- बीजेपी की हार का गणित: अखिलेश ने दावा किया कि 1.93 लाख शिक्षक भर्ती का “जुमला” बीजेपी को 2027 में हर सीट पर औसतन 1.08 लाख वोटों का नुकसान पहुंचा सकता है।
- पंचायत चुनाव की तैयारी: सपा और बीजेपी दोनों ही पंचायत चुनाव को 2027 का “सेमीफाइनल” मानकर संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं।
बीजेपी का जवाब
योगी सरकार ने दावा किया कि शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया लगातार जारी है। पिछले तीन वर्षों में 5,856 सरकारी शिक्षकों की भर्ती की गई है। सरकार का कहना है कि मर्जिंग से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। हालांकि, विपक्ष इसे खोखला दावा बता रहा है।
आगे क्या?
स्कूल मर्जिंग और शिक्षक भर्ती का मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति में तूल पकड़ रहा है। शिक्षक संगठनों ने लखनऊ कूच की धमकी दी है, जबकि विपक्ष इसे सियासी हथियार बनाने में जुटा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी सरकार इस विवाद को कैसे संभालती है और इसका 2027 के चुनावी समीकरण पर क्या असर पड़ता है।
आपकी राय क्या है? क्या स्कूल मर्जिंग का फैसला शिक्षा के लिए फायदेमंद है या यह ग्रामीण बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल रहा है? कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर साझा करें।
FAQs
1. उत्तर प्रदेश में स्कूल मर्जिंग क्यों हो रही है?
सरकार का कहना है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने से संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
2. स्कूल मर्जिंग का बच्चों पर क्या असर होगा?
विपक्ष और शिक्षक संगठनों का दावा है कि इससे स्कूलों की दूरी बढ़ेगी, जिससे ड्रॉपआउट दर बढ़ सकती है।
3. शिक्षक भर्ती का क्या स्थिति है?
शिक्षा विभाग में 2 लाख से ज्यादा पद खाली हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में देरी और 1.93 लाख भर्ती का विवाद चर्चा में है।
4. 2027 के चुनाव पर इसका क्या असर होगा?
शिक्षक समुदाय एक बड़ा वोट बैंक है। विपक्ष इसे सियासी मुद्दा बनाकर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहा है।

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