
UP SCHOOL CLOSE NEWS UPDATE-उत्तर प्रदेश में स्कूल-कॉलेज बंद करने की प्रक्रिया तेज, सीतापुर में 100 कॉलेज मर्ज, विरोध में उबाल
लखनऊ, 25 जून 2025: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों और कॉलेजों को मर्ज करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। ताजा जानकारी के अनुसार, सीतापुर जिले में लगभग 100 कॉलेजों को मर्ज कर दिया गया है, जिसके तहत इन संस्थानों के छात्रों को अन्य नजदीकी स्कूलों और कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा। सरकार का दावा है कि कम नामांकन वाले संस्थानों को मर्ज करने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, लेकिन इस फैसले का व्यापक विरोध शुरू हो गया है।
सोशल मीडिया पर छात्रों का गुस्सा, वीडियो वायरल
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, खासकर एक्स (पूर्व में ट्विटर), पर छात्रों और अभिभावकों ने इस फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है। कई छात्रों ने वीडियो शेयर किए हैं, जिनमें वे नारे लगा रहे हैं, “शिक्षा हमारा अधिकार है, इसे खोना नहीं चाहते।” इन वीडियो में छात्रों का कहना है कि नजदीकी स्कूल बंद होने से उन्हें 2 से 5 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ेगा, जो खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियों के लिए असुरक्षित और मुश्किल है। एक छात्र ने वीडियो में कहा, “गरीब का बच्चा इतनी दूर कैसे पढ़ने जाएगा? हमारी बेटियों की सुरक्षा का क्या?”
विपक्षी दलों का सरकार पर हमला
विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर योगी सरकार को घेरा है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इसे गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों के खिलाफ कदम बताया। एक विपक्षी नेता ने कहा, “जब गरीब का बच्चा अपने गांव के स्कूल में पढ़ नहीं पाएगा, तो वह 4-5 किलोमीटर दूर कैसे जाएगा? सरकार शिक्षा का अधिकार छीन रही है।” उन्होंने दावा किया कि यह फैसला न केवल शिक्षा को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि बेसिक शिक्षा विभाग की प्रस्तावित 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को भी प्रभावित करेगा।
ग्राम प्रधानों की शिकायतें, जनता में आक्रोश
ग्राम प्रधानों ने भी इस मर्जर प्रक्रिया के खिलाफ शिकायतें दर्ज की हैं। उनका कहना है कि स्कूल और कॉलेज बंद होने से स्थानीय स्तर पर शिक्षा की पहुंच कम हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन की कमी और खराब सड़कों के कारण बच्चों, खासकर बेटियों, के लिए दूर के स्कूलों में जाना असंभव है। एक ग्राम प्रधान ने कहा, “2-3 किलोमीटर की दूरी भी बेटियों के लिए बहुत ज्यादा है। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।”
पहले भी उठ चुका है विवाद
हाल ही में समाचार पत्रों और भारत चैनल जैसे मीडिया हाउस ने खबर दी थी कि उत्तर प्रदेश में 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने की योजना है। इसके अलावा, लगभग 17,000 कॉलेजों को मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू होने की बात भी सामने आई थी। हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग की महानिदेशक कंचन वर्मा ने इन खबरों को “भ्रामक” बताते हुए स्पष्ट किया था कि स्कूलों को बंद नहीं, बल्कि मर्ज किया जा रहा है।
क्या है सरकार का तर्क?
सरकार का कहना है कि 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों और कॉलेजों को नजदीकी संस्थानों में मर्ज करने से संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। शिक्षा विभाग ने 14 नवंबर तक सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से मर्जर की रिपोर्ट मांगी है। विभाग का दावा है कि कायाकल्प, निपुण और प्रेरणा जैसी योजनाओं से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।
आगे क्या?
सोशल मीडिया पर बढ़ते विरोध और ग्राम प्रधानों की शिकायतों के बीच यह देखना होगा कि सरकार इस प्रक्रिया को जारी रखती है या जनता के दबाव में कोई बदलाव लाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कॉलेज और स्कूल बड़े पैमाने पर मर्ज होते हैं, तो न केवल छात्रों को परेशानी होगी, बल्कि शिक्षकों की भर्ती और ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ेगा।

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