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Starlink’s satellite internet (4G/5G) |मिलेगा फ्री इंटरनेट

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Starlink को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के लिए लाइसेंस मिला। जानें स्टारलिंक क्या है, यह कैसे काम करता है, इसकी स्पीड, कीमत और भारत में भविष्य।

Starlink’s satellite internet (4G/5G) |मिलेगा फ्री इंटरनेट

  • Starlink’s satellite internet (4G/5G) |मिलेगा फ्री इंटरनेटय-स्टारलिंक को भारत में लाइसेंस: एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) से सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए आधिकारिक लाइसेंस मिल गया है।
  • हाई-स्पीड इंटरनेट: ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में 50-250 Mbps की डाउनलोड स्पीड और कम लेटेंसी के साथ इंटरनेट पहुंच।
  • प्रतिस्पर्धा: स्टारलिंक, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की वनवेब के बाद तीसरी कंपनी है जिसे यह लाइसेंस प्राप्त हुआ।
  • किफायती प्लान: संभावित मासिक प्लान ₹840 से शुरू, अनलिमिटेड डेटा के साथ।

स्टारलिंक क्या है?

स्टारलिंक, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा संचालित एक सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवा है। यह लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में हजारों छोटे सैटेलाइट्स के नेटवर्क का उपयोग करके हाई-स्पीड और कम लेटेंसी वाला इंटरनेट प्रदान करता है। भारत में स्टारलिंक की सेवाएं शुरू होने से ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी में क्रांति आ सकती है।

भारत में स्टारलिंक को लाइसेंस: एक नया कदम

6 जून 2025 को, भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस प्रदान किया। यह लाइसेंस स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की अनुमति देता है। इससे पहले, रिलायंस जियो और यूटेलसैट वनवेब को भी यह लाइसेंस मिल चुका है।

दूरसंचार विभाग के सूत्रों के अनुसार, स्टारलिंक को अगले 15-20 दिनों में टेस्ट स्पेक्ट्रम प्रदान किया जाएगा। इसके बाद, कंपनी को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) से अंतिम मंजूरी और सुरक्षा शर्तों का पालन करना होगा।

सैटेलाइट इंटरनेट कैसे काम करता है?

सैटेलाइट इंटरनेट पारंपरिक ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क से अलग है। यह इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए सैटेलाइट्स का उपयोग करता है। इसके प्रमुख हिस्से हैं:

  1. ग्राउंड स्टेशन: ये स्टेशन सैटेलाइट्स को डेटा भेजते और प्राप्त करते हैं।
  2. सैटेलाइट्स: पृथ्वी की निचली कक्षा (500-550 किमी) में मौजूद सैटेलाइट्स डेटा ट्रांसमिशन के लिए जिम्मेदार हैं।
  3. यूजर डिवाइस: स्टारलिंक डिश और मॉडेम सिग्नल प्राप्त करने और भेजने के लिए आवश्यक हैं।

स्टारलिंक की तकनीक पारंपरिक केबल या टावर-आधारित नेटवर्क पर निर्भर नहीं है, जिससे यह उन क्षेत्रों में प्रभावी है जहां इंटरनेट की पहुंच सीमित है।

स्टारलिंक की इंटरनेट स्पीड और कीमत

स्टारलिंक की डाउनलोड स्पीड 50 से 250 Mbps तक है, जबकि प्रीमियम योजनाओं में यह 500 Mbps से अधिक हो सकती है। अपलोड स्पीड 10-40 Mbps और लेटेंसी 20-50 मिलीसेकंड के बीच रहती है। यह ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉलिंग और स्ट्रीमिंग के लिए उपयुक्त है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टारलिंक भारत में ₹840 प्रति माह के किफायती प्लान के साथ अनलिमिटेड डेटा ऑफर कर सकता है। हालांकि, डिश किट की कीमत ₹21,000 से ₹32,000 तक हो सकती है, जो सामान्य ब्रॉडबैंड की तुलना में महंगी है।

स्टारलिंक बनाम पारंपरिक इंटरनेट

नीचे दी गई तालिका स्टारलिंक, पारंपरिक ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क (4G/5G) की तुलना करती है:

विशेषतास्टारलिंक (सैटेलाइट)पारंपरिक ब्रॉडबैंड (फाइबर/DSL)मोबाइल नेटवर्क (4G/5G)
डाउनलोड स्पीड50-250 Mbps (प्रीमियम में 500+ Mbps)100 Mbps-10 Gbps4G: 10-100 Mbps, 5G: 200 Mbps-10 Gbps
अपलोड स्पीड10-40 Mbps50-500 Mbps4G: 5-50 Mbps, 5G: 50-500 Mbps
लेटेंसी20-50 ms5-20 ms4G: 20-30 ms, 5G: 1-30 ms
उपलब्धताग्रामीण/दुर्गम क्षेत्रों मेंशहरी क्षेत्रों मेंशहरी/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में
हार्डवेयर लागत₹21,000-₹32,000 (डिश)₹2,000-₹5,000 (मॉडेम/राउटर)न्यूनतम (मोबाइल डिवाइस)

विश्लेषण: स्टारलिंक की स्पीड फाइबर ब्रॉडबैंड से कम हो सकती है, लेकिन यह ग्रामीण क्षेत्रों में एकमात्र व्यवहारिक विकल्प है। इसकी लेटेंसी 5G से अधिक है, लेकिन पारंपरिक सैटेलाइट इंटरनेट से बेहतर है।

भारत में स्टारलिंक की चुनौतियां

  1. प्रतिस्पर्धा: रिलायंस जियो और एयरटेल की वनवेब पहले से ही सैटेलाइट इंटरनेट क्षेत्र में मौजूद हैं।
  2. महंगा हार्डवेयर: स्टारलिंक डिश की कीमत भारतीय उपभोक्ताओं के लिए चुनौती हो सकती है।
  3. सुरक्षा और नियम: स्टारलिंक को गृह मंत्रालय और IN-SPACe की सख्त सुरक्षा शर्तों का पालन करना होगा।

स्टारलिंक का भविष्य भारत में

स्टारलिंक का लक्ष्य भारत के ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना है। कंपनी ने रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ साझेदारी की है, जिससे डिस्ट्रीब्यूशन और नेटवर्क विस्तार में मदद मिलेगी। संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि स्पेक्ट्रम आवंटन के बाद सेवाएं बड़े पैमाने पर शुरू होंगी, जिससे ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी।

निष्कर्ष

एलन मस्क की स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के क्षेत्र में एक नया युग शुरू करने जा रही है। किफायती प्लान और हाई-स्पीड इंटरनेट के साथ, यह ग्रामीण भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी की समस्या को हल कर सकता है। हालांकि, हार्डवेयर की लागत और नियामकीय चुनौतियां इसके सामने बाधाएं हैं। स्टारलिंक की भारत में शुरुआत डिजिटल इंडिया के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।

क्या आप स्टारलिंक की सेवाओं का उपयोग करना चाहेंगे? हमें कमेंट में बताएं और इस लेख को शेयर करें।

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