
Kasganj Basic Shiksha vibhag news-जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार का बोलबाला, गंभीर आरोपों की जांच की मांग -कासगंज के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप। श्री सूर्य प्रताप सिंह और जिला समन्वयकों पर रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितता का आरोप। जिलाधिकारी से जांच और कार्रवाई की मांग।
कासगंज, 07 जून 2025: उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कार्यालय में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री सूर्य प्रताप सिंह और विभिन्न जिला समन्वयकों पर भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता, और शिक्षकों के शोषण के आरोप लगे हैं। यह शिकायत पत्र जिलाधिकारी महोदया, कासगंज को संबोधित करते हुए दर्ज की गई है, जिसमें भ्रष्टाचार के कई गंभीर मामलों का उल्लेख किया गया है।
भ्रष्टाचार के प्रमुख आरोप
- अतिरिक्त कक्षा-कक्ष निर्माण में गड़बड़ी:
शिकायत के अनुसार, 20 अतिरिक्त कक्षा-कक्षों के निर्माण के लिए शिक्षकों से दबाव डालकर प्रति शिक्षक 1 लाख रुपये, कुल 20 लाख रुपये की रिश्वत ली गई। निर्माण प्रभारी शिक्षकों को संविदा समाप्त करने की धमकी दी गई। - जर्जर भवनों का पुनर्निर्माण:
19 जर्जर भवनों के पुनर्निर्माण में बिना तकनीकी जांच और जिलाधिकारी के संज्ञान के भवन हैंडओवर कर लिए गए। कार्यदायी संस्था से 10 लाख रुपये की रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार किया गया, जिसके परिणामस्वरूप भवन फिर से जर्जर स्थिति में हैं। - फर्नीचर खरीद में अनियमितता:
18 परिषदीय विद्यालयों में नवीन फर्नीचर खरीद के लिए जैम पोर्टल से चुनी गई फर्म M/S ISHAN ENTERPRISES, ETAH के BIFMA प्रमाणपत्र को फर्जी बताया गया है। फर्म से मोटी रकम वसूल की गई। - आईसीटी लैब और रिवॉल्विंग चेयर खरीद:
पीएम श्री विद्यालयों के लिए 14.88 लाख रुपये की धनराशि खर्च में अनियमितता बरती गई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपनी पसंदीदा फर्म खुशी एन्टरप्राइजेस के माध्यम से खरीद की, बिना जिलाधिकारी को सूचित किए। - वार्षिकोत्सव और खेलकूद कार्यक्रमों में गबन:
जनपदीय स्तर पर वार्षिकोत्सव और खेलकूद कार्यक्रमों के लिए आवंटित 20 लाख रुपये का कोई आयोजन नहीं किया गया और इस राशि का गबन कर लिया गया। - निपुण विद्यालयों के लिए सम्मान समारोह:
निपुण विद्यालयों के लिए 50,000 रुपये की धनराशि से कोई भव्य आयोजन नहीं किया गया। केवल खानापूर्ति के लिए कुछ शिक्षकों को प्रमाण-पत्र बांटे गए, जबकि अधिकांश प्रमाण-पत्र बीएसए कार्यालय में धूल फांक रहे हैं। - एआरपी चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार:
एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) चयन में लिखित परीक्षा, माइक्रोटीचिंग, और साक्षात्कार में अनियमितता बरती गई। अभ्यर्थियों से 50,000 से 1 लाख रुपये तक रिश्वत ली गई। कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को अधिक अंक देकर चयनित किया गया, जबकि योग्य अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया। - ईसीसीई एजुकेटर चयन में रिश्वतखोरी:
101 ईसीसीई एजुकेटर चयन प्रक्रिया में प्रति अभ्यर्थी 1.5 लाख रुपये की मांग की जा रही है। फर्जी एनटीटी मार्कशीट के आधार पर चयन प्रक्रिया को प्रभावित किया जा रहा है। - ईएमआईएस इंचार्ज द्वारा गबन:
श्री सुनील कुमार यादव (ईएमआईएस इंचार्ज) ने 2 लाख रुपये की सामग्री खरीद में फर्जी बिल लगाकर गबन किया। पुराने एसी और गुणवत्ताहीन लैपटॉप, प्रिंटर की खरीद में भी अनियमितता बरती गई। - शिक्षकों का शोषण:
शिक्षकों को निलंबन और वेतन रोकने की धमकी देकर मोटी रकम वसूली जा रही है। कुछ शिक्षकों से अनुपस्थिति के बावजूद सुविधा शुल्क के रूप में 20,000-25,000 रुपये प्रति माह वसूले जा रहे हैं।
जिलाधिकारी से कार्यवाही की मांग
शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी महोदया, कासगंज से उक्त भ्रष्टाचार के मामलों की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि बीएसए श्री सूर्य प्रताप सिंह ने बेसिक शिक्षा मंत्री को 30 लाख रुपये देकर अपना पद सुनिश्चित करने का दावा किया है।
निष्कर्ष
कासगंज के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें शिक्षकों और विद्यार्थियों के हितों को नुकसान पहुंचा रही हैं। शासन की योजनाओं को पलीता लगाने और वित्तीय अनियमितताओं के इन गंभीर आरोपों की जांच अत्यंत आवश्यक है। जनपद के शिक्षकों और अभ्यर्थियों में इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है, और वे प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।