CM YOGI NEW EDUCATION | उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद ने पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव और नवाचार किए हैं। जैसा कि प्रदान की गई पंक्तियों में उल्लेख किया गया है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा को समाज और राष्ट्र की आधारशिला के रूप में महत्व देते हुए, बुनियादी सुविधाओं और डिजिटल संसाधनों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह लेख बेसिक शिक्षा परिषद के इन प्रयासों, उनकी उपलब्धियों, और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालता है, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक नए मॉडल की नींव रख रहे हैं।

बुनियादी सुविधाओं में सुधार
प्रदान की गई पंक्तियों में उल्लेख है कि पहले कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं जैसे टॉयलेट, खेल का मैदान, अच्छी फ्लोरिंग, और फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं थे। आज स्थिति में व्यापक बदलाव आया है। 7409 स्कूलों में स्मार्ट क्लास, 5228 स्कूलों में आरसीटी लैब, और 503 पीएम श्री स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त, 51667 शिक्षकों को टैबलेट वितरित किए गए हैं, जो डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह बदलाव न केवल स्कूलों को आधुनिक बनाता है, बल्कि छात्रों को 21वीं सदी की शिक्षा के लिए तैयार करता है।
डिजिटल शिक्षा का विस्तार
डिजिटल लाइब्रेरी और स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाओं ने शिक्षा को और अधिक सुलभ और आकर्षक बनाया है। कोविड महामारी के दौरान वर्चुअल शिक्षा और डिजिटल कंसल्टेशन जैसे नवाचारों ने दिखाया कि तकनीक शिक्षा को हर बच्चे तक पहुंचाने का एक शक्तिशाली माध्यम हो सकती है। एससीआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) द्वारा शुरू की गई “सारथी” और “अनुरूपण” जैसी पुस्तकें शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं, जो स्थानीय शिक्षकों द्वारा तैयार सामग्री को संकलित करती हैं। यह शिक्षकों को नई शिक्षण तकनीकों से जोड़ता है और सीखने की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाता है।
प्रत्येक बच्चे तक शिक्षा की पहुंच
मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि 5 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को स्कूल से जोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए “स्कूल चलो अभियान” जैसी पहल शुरू की गई है, जिसमें शिक्षक और प्रधानाचार्य घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल लाने की जिम्मेदारी ले रहे हैं। नए छात्रों के स्वागत के लिए ढोल-नगाड़े, टीका, और मिड-डे मील जैसी व्यवस्थाएं स्कूलों में उत्साह का माहौल बनाती हैं। इसके अलावा, डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से प्रत्येक छात्र के लिए ₹1200 की धनराशि प्रदान की जा रही है, जो यूनिफॉर्म, बैग, जूते, मोजे, और स्टेशनरी के लिए उपयोग की जाएगी। यह सुनिश्चित करता है कि आर्थिक बाधाएं शिक्षा में रुकावट न बनें।
शिक्षक-छात्र अनुपात और गुणवत्ता
शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित करना आवश्यक है। छोटे स्कूलों को एकीकृत कर 60-100 छात्रों के लिए 3-5 शिक्षकों की व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है, ताकि प्रत्येक कक्षा को पर्याप्त ध्यान मिल सके। इसके अतिरिक्त, निपुण भारत जैसे आकलन कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों का प्रदर्शन मापा जा रहा है, और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा है। यह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है और शिक्षकों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करता है।
समर कैंप और समग्र विकास
शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। समर कैंप, योग, और खेल जैसी गतिविधियां बच्चों की प्रतिभा को निखारने और तनावमुक्त वातावरण प्रदान करने में मदद करती हैं। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए स्कूलों में योग प्रशिक्षण की तैयारी शुरू की गई है। इसके अलावा, संगीत, नृत्य, और खेल जैसी गतिविधियों को स्कूल स्तर से लेकर राज्य स्तर तक प्रतियोगिताओं के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह बच्चों के समग्र विकास को सुनिश्चित करता है, क्योंकि हर बच्चा पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी प्रतिभाशाली हो सकता है।
भविष्य की योजनाएं
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद एक नए शैक्षिक मॉडल की दिशा में काम कर रहा है, जिसमें प्री-प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी तक की शिक्षा एक ही कैंपस में प्रदान की जाएगी। 43 मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट स्कूल और 66 मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूलों का शिलान्यास इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रत्येक जिले में दो स्कूल और भविष्य में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक स्कूल स्थापित करने की योजना है। इन स्कूलों में साइंस लैब, कंप्यूटर लैब, स्टेडियम, और मल्टीपर्पज हॉल जैसी सुविधाएं होंगी, जो बच्चों को आधुनिक शिक्षा और समग्र विकास के अवसर प्रदान करेंगी।
उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा परिषद शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और सुधार का एक नया केंद्र बन चुका है। डिजिटल संसाधनों, बुनियादी सुविधाओं, और समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह परिषद हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। जैसा कि मुख्यमंत्री ने कहा, “शिक्षा समाज और राष्ट्र की आधारशिला है।” इन प्रयासों के माध्यम से, उत्तर प्रदेश न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मॉडल प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि देश के भविष्य को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

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