Delhi old car band-दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर बैन ने सेकंड हैंड कार बाजार को हिलाकर रख दिया। 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों की कीमतें 50% तक गिरीं। जानें इस नीति का असर, डीलरों की परेशानी और सस्ती लग्जरी कारों की लूट की सच्चाई।
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लागू सख्त नियमों ने पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के आदेश के तहत 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को सड़कों पर चलाने और पेट्रोल पंपों पर ईंधन लेने की मनाही है। इस नीति ने दिल्ली के सेकंड हैंड कार बाजार को हिलाकर रख दिया है। गाड़ियों की कीमतें 40-50% तक गिर गई हैं, और वाहन मालिक अपनी गाड़ियों को कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं।
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सेकंड हैंड कार बाजार पर असर
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के अनुसार, दिल्ली में लगभग 60 लाख पुराने वाहन इस बैन से प्रभावित हैं। करोल बाग, प्रीत विहार, पीतमपुरा और मोती नगर जैसे इलाकों में 1000+ सेकंड हैंड कार डीलर भारी नुकसान में हैं। पहले 6-7 लाख में बिकने वाली लग्जरी कारें अब 4-5 लाख में भी मुश्किल से बिक रही हैं। डीलर प्रीतपाल सिंह ने बताया, “डिमांड तीन गुना बढ़ी है, खासकर साउथ इंडिया से लग्जरी कारों की मांग बढ़ी है। लेकिन मालिकों को उचित दाम नहीं मिल रहे।”
बाहर से आए खरीदारों का फायदा
दिल्ली की पुरानी गाड़ियाँ यूपी, पंजाब, राजस्थान, बिहार, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में बिक रही हैं। इन राज्यों के खरीदार दिल्ली की मजबूरी का फायदा उठाकर सस्ते दामों पर गाड़ियाँ खरीद रहे हैं। डीलर विनीत चोपड़ा ने बताया, “एक ग्राहक ने 1 करोड़ की लग्जरी कार 6 लाख में खरीदी। यह डीलरों के लिए मिश्रित समय है—बिक्री बढ़ रही है, लेकिन कीमतें कम होने से घाटा भी हो रहा।”
NOC की परेशानी
दिल्ली से गाड़ियाँ अन्य राज्यों में ट्रांसफर करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जरूरी है। लेकिन, अब इस प्रक्रिया में देरी, कागजी कार्रवाई और तकनीकी अड़चनें बढ़ गई हैं। इससे डीलरों और मालिकों को दिक्कत हो रही है। एक डीलर ने कहा, “पहले NOC 2-3 दिन में मिल जाता था, अब हफ्तों लग रहे हैं।”
सरकार का रुख और जनता का गुस्सा
1 जुलाई 2025 से लागू इस बैन को जनता के विरोध के बाद अस्थायी रूप से स्थगित किया गया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQM को बताया कि पेट्रोल पंपों पर लगे ANPR कैमरे पुरानी गाड़ियों की सटीक पहचान नहीं कर पा रहे। अब सरकार PUC सर्टिफिकेट और वाहन की स्थिति के आधार पर कार्रवाई की योजना बना रही है। लेकिन, नीति की अस्पष्टता से जनता में नाराजगी है।
प्रदूषण नियंत्रण या आर्थिक नुकसान?
विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी गाड़ियों पर बैन से प्रदूषण में मामूली कमी आएगी, क्योंकि BS-VI मानक पहले ही उत्सर्जन को 80-98% कम कर चुके हैं। PUC सिस्टम की खामियाँ और नीति की अव्यवहारिकता से मध्यमवर्गीय और छोटे कारोबारी परेशान हैं।
सेकंड हैंड कार बाजार: तालिका
पहलू | विवरण |
---|---|
प्रभावित वाहन | ~60 लाख (41 लाख दोपहिया, 18 लाख चारपहिया) |
कीमतों में गिरावट | 40-50% |
प्रमुख बाजार | करोल बाग, प्रीत विहार, पीतमपुरा, मोती नगर |
खरीदारों का क्षेत्र | साउथ इंडिया, यूपी, पंजाब, राजस्थान, बिहार |
प्रमुख मांग | लग्जरी कारें (हैदराबाद, बेंगलुरु), मिड-रेंज (यूपी, पंजाब) |
NOC की समस्या | देरी, तकनीकी अड़चनें |
सरकारी नीति | अस्थायी स्थगन, PUC आधारित कार्रवाई की योजना |
FAQ: दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर बैन
1. दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर बैन क्यों लगा?
वायु प्रदूषण कम करने के लिए 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर रोक है।
2. सेकंड हैंड कारों की कीमतों पर क्या असर है?
कीमतें 40-50% तक गिरीं, मालिकों को नुकसान और खरीदारों को फायदा हो रहा है।
3. क्या बैन स्थायी है?
फिलहाल स्थगित है; PUC और वाहन स्थिति के आधार पर कार्रवाई होगी।
4. पुरानी गाड़ियाँ कहाँ बेची जा सकती हैं?
यूपी, पंजाब, राजस्थान, साउथ इंडिया में, लेकिन NOC में देरी एक समस्या है।
5. कौन से क्षेत्रों से खरीदार आ रहे हैं?
साउथ इंडिया (हैदराबाद, बेंगलुरु), यूपी, पंजाब, राजस्थान, बिहार।
निष्कर्ष
पुरानी गाड़ियों पर बैन का मकसद प्रदूषण नियंत्रण है, लेकिन यह मध्यमवर्गीय मालिकों और डीलरों के लिए आर्थिक संकट बन गया है। बाहर से आए खरीदार सस्ती लग्जरी कारें खरीद रहे हैं, जबकि दिल्लीवासियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार को नीति में संतुलन लाने की जरूरत है ताकि पर्यावरण और जनता दोनों की रक्षा हो।
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