
UP SCHOOL NEWS UPDATE -उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूल मर्जर के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस ने इसे गरीब बच्चों की शिक्षा के खिलाफ साजिश बताते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा है, जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इसका कड़ा विरोध किया। स्कूल बंद होने से भर्तियों पर असर और बच्चों की पढ़ाई में बाधा की आशंका।

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के तहत सरकारी स्कूलों के मर्जर का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस ने इसे गरीब और वंचित बच्चों की शिक्षा के खिलाफ साजिश करार देते हुए राज्यपाल को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। वहीं, सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इस नीति की कड़ी आलोचना की है।
कांग्रेस का आरोप है कि स्कूल मर्जर के नाम पर सरकार 1-2 किलोमीटर दूर के स्कूलों में बच्चों को भेज रही है। पार्टी ने सवाल उठाया कि क्या पहली कक्षा का छोटा बच्चा, खासकर गरीब परिवार का, इतनी दूरी पैदल तय कर सकता है? यह नीति ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच को और मुश्किल बना सकती है।
उत्तर प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख प्राइमरी स्कूल हैं, लेकिन 2018 से बेसिक शिक्षा विभाग में कोई नई शिक्षक भर्ती नहीं हुई है। डीएलएड प्रशिक्षित हजारों अभ्यर्थी भर्ती का इंतजार कर रहे हैं, मगर स्कूलों के मर्जर से नई वैकेंसी की संभावना और कम हो रही है। अखिलेश यादव ने इसे शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की रणनीति बताया और कहा कि स्कूल बंद होने से ड्रॉपआउट दर बढ़ेगी, खासकर लड़कियों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ेगा।
कांग्रेस ने दावा किया कि 5,000 से अधिक सरकारी स्कूल बंद होने के कगार पर हैं, जिसका कारण शिक्षकों की कमी और बुनियादी ढांचे का अभाव है। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज कर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारी जाएगी। हालांकि, शिक्षक संगठनों और विपक्ष का कहना है कि इससे ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी और शिक्षकों की भर्ती-प्रोन्नति पर भी असर पड़ेगा।
अखिलेश यादव ने सरकार को “हृदयहीन” करार देते हुए कहा कि यह नीति गरीबों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश है। उन्होंने शिक्षकों और अभिभावकों से एकजुट होकर इसका विरोध करने की अपील की। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने दावा किया कि राज्य में शिक्षक-छात्र अनुपात राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है, और 31 मार्च 2025 तक 42,066 शिक्षकों की भर्ती पूरी हो जाएगी।
यह विवाद न केवल शिक्षा नीति बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। विपक्ष इसे गरीबों और वंचितों के खिलाफ नीति के रूप में पेश कर रहा है, जबकि सरकार इसे सुधार का कदम बता रही है। फिलहाल, इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, और अभ्यर्थी व शिक्षक संगठन सड़कों पर उतरकर अपनी मांगें उठा रहे हैं।

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